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Mahender Pal Arya
Guest
इसी एक सवाल का ज़वाब इस्लाम के पास नहीं है ||
यह सूर: 42, शुरा की शुरुयात, शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जी बड़े महरबान निहायत रहम वाला है | कुरान को मानव समाज में अल्लाह कि कलाम के नाम से जाना जाता हैं की यह आसमानी किताब है अल्लाह ने अपने फरिश्तों से उतारी अपने पैगम्बर हजरत मुहम्मद {स} पर |
अगर यह कलाम अल्लाह की ही है तो अल्लाह ने इसकी शुरुयात अल्लाह के नाम से किया फिर अल्लाह की कलाम कैसे ? अगर अल्लाह यह कहते की शुरू करता हूँ मैं अपने नाम के साथ फिर तोकलाम अल्लाह की ही होना ठीक था | या फिर अल्लाह यह कहते पढने वालों को की इसे मेरे नाम से ही शुरू करो तुमलोग
या जब इसे शुरू करो तो मेरा ही नाम लेकर इसकी शुरुयात करना, पर यहाँ तो साफ़ लिखा है की शुरुकरता हूँ अल्लाह के नाम से जो बड़े महरबान और निहायत रहम वाला है |
और यह सिर्फ एक जगह ही नहीं हर सुर: की शुरुयात इन्ही वाक्य से की गई है, इससे यह साफ़ हो गया की यह कलाम अल्लाह की नहीं है बल्कि इसका कहने वाला दूसरा कोई और है | इन्ही वाक्य पर ऋषि दयानंद जी ने सवाल उठाया की कोई शुभ कार्य में और पशु के काटने में भी इसी वाक्य से आरम्भ किया जायेगा, तो जो अल्लाह रहम करने वाला है,उन पशुओं पर रहम क्यों नहीं करते जिसके गलेमें छुरी चलाई जा रहीहै ?
आज एक नई बात आप लोगों को सुनाता हूँ, की अल्लाह ताला चाहते हैं पूरी दुनिया में एक अल्लाह का ही दीन हो जाये | और इसी काम के लिए अल्लाह ने अपने फरिश्तों से लेकर एक लाख या दो लाख चौबीस हज़ार फरिश्तों को लगा दिया और प्रयास इन सब का जरी है की सभी को मुस्लमान बनादिया जाय | परन्तु एक ही अल्लाह का बनाया हवा जिसको इब्लीस कहा जाता है उसे ने इन सबका काम फेल कर दिया | तो अल्लाह शक्तिशाली है अथवा इबलीस अल्लाह से मजबूत जबरदस्त और शक्ति शाली ठहरा ?
जवाब लेकर कौन आ रहा है सामने आयें स्वागत है | जब एक ही सवाल का ज़वाब नहीं है इनके पास तो फिर यह इस्लाम वाले हिन्दुओं को मुसलमान कैसे बना रहे हैं ? पता लगा की हिन्दू सवाल करना ही नहीं जानता है यह इनकी मुर्खता और पागलपन है | धन्ययाद के साथ महेन्द्र पाल आर्य – 6/10/ 21
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यह सूर: 42, शुरा की शुरुयात, शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जी बड़े महरबान निहायत रहम वाला है | कुरान को मानव समाज में अल्लाह कि कलाम के नाम से जाना जाता हैं की यह आसमानी किताब है अल्लाह ने अपने फरिश्तों से उतारी अपने पैगम्बर हजरत मुहम्मद {स} पर |
अगर यह कलाम अल्लाह की ही है तो अल्लाह ने इसकी शुरुयात अल्लाह के नाम से किया फिर अल्लाह की कलाम कैसे ? अगर अल्लाह यह कहते की शुरू करता हूँ मैं अपने नाम के साथ फिर तोकलाम अल्लाह की ही होना ठीक था | या फिर अल्लाह यह कहते पढने वालों को की इसे मेरे नाम से ही शुरू करो तुमलोग
या जब इसे शुरू करो तो मेरा ही नाम लेकर इसकी शुरुयात करना, पर यहाँ तो साफ़ लिखा है की शुरुकरता हूँ अल्लाह के नाम से जो बड़े महरबान और निहायत रहम वाला है |
और यह सिर्फ एक जगह ही नहीं हर सुर: की शुरुयात इन्ही वाक्य से की गई है, इससे यह साफ़ हो गया की यह कलाम अल्लाह की नहीं है बल्कि इसका कहने वाला दूसरा कोई और है | इन्ही वाक्य पर ऋषि दयानंद जी ने सवाल उठाया की कोई शुभ कार्य में और पशु के काटने में भी इसी वाक्य से आरम्भ किया जायेगा, तो जो अल्लाह रहम करने वाला है,उन पशुओं पर रहम क्यों नहीं करते जिसके गलेमें छुरी चलाई जा रहीहै ?
आज एक नई बात आप लोगों को सुनाता हूँ, की अल्लाह ताला चाहते हैं पूरी दुनिया में एक अल्लाह का ही दीन हो जाये | और इसी काम के लिए अल्लाह ने अपने फरिश्तों से लेकर एक लाख या दो लाख चौबीस हज़ार फरिश्तों को लगा दिया और प्रयास इन सब का जरी है की सभी को मुस्लमान बनादिया जाय | परन्तु एक ही अल्लाह का बनाया हवा जिसको इब्लीस कहा जाता है उसे ने इन सबका काम फेल कर दिया | तो अल्लाह शक्तिशाली है अथवा इबलीस अल्लाह से मजबूत जबरदस्त और शक्ति शाली ठहरा ?
जवाब लेकर कौन आ रहा है सामने आयें स्वागत है | जब एक ही सवाल का ज़वाब नहीं है इनके पास तो फिर यह इस्लाम वाले हिन्दुओं को मुसलमान कैसे बना रहे हैं ? पता लगा की हिन्दू सवाल करना ही नहीं जानता है यह इनकी मुर्खता और पागलपन है | धन्ययाद के साथ महेन्द्र पाल आर्य – 6/10/ 21
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