कुरानी अल्लाह निकाह भी कराते हैं ||

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Mahender Pal Arya

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कुरानी अल्लाह निकाह भी कराते हैं ||
यह प्रमाण इबने कसीर हिन्दी भाष्य पेज 145 परा 22, सूरा 33 अहज़ाब आयात 37,का सन्दर्भ = इस आयत को पढ़ने और समझने की जरूरत है, इसके एक-एक शब्द को ध्यान से सबको पढ़ना चाहिए ताकि अल्लाह का और अल्लाह के रसूल का काम क्या है इसे समझ जायेंगे | यहाँ लिखा है के आप जब उस शख्स से फरमा रहे थे जिस पर अल्लाह ने भी इन्याम किया और आपने भी किया, की अपनी बीवी जैनब को अपने निकाह में रहने दें और खुदा से डर और आप अपने दिल में वह बात भी छुपाये हुए थे, जिसको अल्लाह ताला आखिर में जाहिर करने वाला था और आप लोगों के ताना देने के अंदेशा करते थे और डरना तो आपको खुदा ही से ज्यादा मुनासिब है |
फिर जब जैद का उससे जी भर गया, हमने आपसे उसका निकाह कर दिया ताकि और मुसलमानों पर अपने मुँह बोले बेटों की बीवीओं के निकाह के बारे में कुछ तंगी न रहे, जब वह मुँह बोले बेटे उनसे अपना जी भर चुके और खुदा का यह हुकुम होने वाला ही था |
दुनिया के लोगों को समझदारी से पढ़ने को लिखा की यह जो घटना है जैद और जैनब की जिसकी शादी की बात ऊपर गुजरी, इस आयत में उसी की चर्चा की जा रही है | जब जैद का मन भर गया जैनब से उसे तलाक देना चाहा हुजुर ने मना किया बात नहीं बनी, इधर उन्ही जैनब को निकाह किये बिना अपने घर रख लिया जिसे रसूल लोकलाज से डर रहे थे यहाँ साफ़ लिखा या अल्लाह ने कहा इसी बात को |
अब अल्लाह कह रहे हैं की मैंने इसे उजागर कर दिया जिस बात को तुम अपने मन में छुपाये हुए थे, वह बात क्या थी जिसे रसूल मन में छुपाये हुए थे ? सम्पूर्ण इस्लाम जगत से मेरा सवाल यही रहेगा की वह कौन सी बात थी जिसे रसूल लोकलाज से डर रहे थे अपने मन में जिसे छुपाये हुए थे ? कोई गलत बात तो जरुर रही होगी जिससे डर रहे थे ? अल्लाह उसे बता रहे हैं और अल्लाह ने यहाँ तक भी बताया की मैंने तुम्हारी निकाह जैनब से करा दी, वह भी किसलिए ? की और मुसलमानों के लिए भी यह रास्ता खुल जाये की वह लोग भी अपने मुह बोले बेटों की तलाक शुदा बीवियों से निकाह कर सकें |
इस आयात से यह पता चला की अल्लाह निकाह कराने का भी काम करते हैं, दुनिया वालों को यही तो समझना है की यह काम अल्लाह का क्यों कर संभव है ? क्या कुरान की यह बातें सही है, सच्ची है अथवा सच होना उचित या सम्भव है ? अल्लाह ने और मुसलमानों के लिए भी रास्ता खोल दिया की यह काम हर मुसलमानों के लिए जायज है की वह अपने मुँह बोले बेटे के पत्नी से निकाह कर सकते हैं | यह है इस्लाम और इस्लाम का अल्लाह, रसूल और अल्लाह की किताब कुरान | लेकिन मेरा इस्लाम वालों से यह भी सवाल है की निकाह अल्लाह ने कराया जैनब का अपने रसूल से तो मेहर कितना रखा गया था ? कारण मेहर के बिना शादी का होना या पत्नी का होना सम्भव नहीं है और गवाह का होना भी जरूरी है तो अल्लाह की कराई हुई इस शादी या निकाह में मेहर कितना रखा गया था और गवाह कौन-कौन थे ? महेंद्र पाल आर्य =28 /9/21=

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